जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥ दुर्गम काज जगत के जेते । మరిన్ని వివరాలకు వాడుక నియమాలను చూడండి. श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि फिर भी अगर कहीं कोई त्रुटी हो तो हमें निचे कमेंट बॉक्स में लिखें. हम उसे अवस्य ठीक करेंगे. यह भी पढ़ें इंदौर https://hanumanchalisalyrics69528.dgbloggers.com/29783831/5-tips-about-hanuman-chalisa-lyrics-you-can-use-today